Monday, August 18, 2014

क्या सोना



क्या सोना क्या जागना
कहा है बिस्तर अपना
तू चल कुछ कर
गिरने की परवा मत कर
दुख भी तो है अपना

सूरज जैसी आग


आसमान मे चमकते हुए सूरज से मैने कहा,
तुझ मे भी आग है,
मुझ मे भी आग है,
तू भी जलता है,
मैं भी जलता हू,

तू दुनिया को रोशन करता है,
पर मुझसे  अब तक ये नही हो पाया,
बुरा लगता है,

पर एक दिन आयेगा मैं भी दुनिया को रोशन करूँगा,
ईसलिये ये आग और बढ़ानी है,
ईसलिये मुझे और जलना है,
मुझे और जलना है

तेरी जैसी ही आग पाकर दुनिया को रोशन करना है



                                 - गणेश नरवणे

वही ज़िंदगी लानी है


दिल रो रहा है
जिंदगी हस रही है
कब से दिल खामोश है
और थोडासा बेहोश है
बस दिन बीते जा रहे है
और उदासी छा रही है
जाने किसकी इसे आस है
और कितनी बड़ी इसकी प्यास है
बस यही सोचे जा रहा हू
हो तो कुछ भी नही रहा है
पाने की दुनिया बहोत दूर लग रही है
बस दिन बीते जा रहे है
ज़िंदगी ख्वाईशो मे अटक गई है
ख्वाब टूट गया है
ज़िंदगी रूठ गई है
तन्हाई छा गई है
पता नही ज़िंदगी किस और जा रही है
बस दिन बीते जा रहे है

अब बस वही ज़िंदगी लानी है
                     जो मैने सोची है
ख्वाबों को फिर से सजाना है
अपने आप को फिर से बनाना है
मंज़िल थोड़ी दूर है
रस्ता भी मुश्किल है
पर मैने भी खुद को तराशा है
मुश्किलो के आगे खुद को नापा है
                                               
                   चाहे दिन कैसे भी हो
                 हर हाल मे आगे बढ़ना है
  बस वही ज़िंदगी लानी है जो मैने सोची है

Tuesday, July 29, 2014

ये जीवन


आशा निराशा का खेल है ये जीवन

भरोसा और उम्मीद से सज़ा है ये जीवन

सपने और बिखरे रास्तो से भरा है ये जीवन

कुछ कर गुजर ने को मिला है ये जीवन

प्यार बाटने को मिला है जीवन

कठिनाई से लढ़ने मिला है ये जीवन

हर पल मे आगे बढ़ने मिला है जीवन

                         
                                                               -  गणेश नरवणे