|| ख़याल मेरे ||
हिन्दी कविताएं - गणेश नरवणे
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Monday, August 18, 2014
क्या सोना
क्या
सोना
क्या
जागना
कहा
है
बिस्तर
अपना
तू
चल
कुछ
कर
गिरने
की
परवा
मत
कर
दुख
भी
तो
है
अपना
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