कैसे नींद आएगी, कुछ बनाना अभी बाकी है...
कैसे दिल को राहत मिलेगी...
कुछ बननेकी आग अभी बुझी नयी...
कैसे दिल को खुशी होगी...
मंज़िल अभी पाई नही...
कैसे रुकेंगे कदम मेरे...
हिम्मत मैने अभी हारी नही...
- गणेश नरवणे
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