|| ख़याल मेरे ||
हिन्दी कविताएं - गणेश नरवणे
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Tuesday, July 29, 2014
एक इरादा...
अब
तो
वही
करना
है
जो
ठान
लिया
है
…
संघर्षो
के
मैदान
मे
फिरसे
उतरना
है
…
ऱातोसे
चुरानी
है
आँखो
की
नींद
…
आख़िर
तक
लड़ेगा
मेरे
खून
का
एक
एक
बूँद
…
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